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✍️ शब्दकार ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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राष्ट्र की आराधना का दिवस पावन।
आ गया गणतंत्र प्यारा भुवन भावन।।
राष्ट्र सर्वोपरि हमें थाती हमारी।
बाग में खिलतीं करोड़ों भव्य क्यारी।।
ज्ञान की गंगा हमारी अघ नसावन।
राष्ट्र की आराधना का दिवस पावन।।
तीन रँग का केसरी ध्वज फहरता है।
मध्य में सित हरित नीचे लहरता है।।
चक्र की महिमा अहर्निश है रिझावन।
राष्ट्र की आराधना का दिवस पावन।।
विविध भाषा ,रंग, रूपों के निवासी।
मोदमय रहते नहीं मुख पर उदासी।।
एकता के सूत्र में रँगता है फ़ागुन।
राष्ट्र की आराधना का दिवस पावन।।
ज्ञान का रवि भी यहाँ से उदित होता।
रश्मियों के पुंज का शिव सत्य सोता ।।
बरसता है मेघ मंजुल सजल सावन।
राष्ट्र की आराधना का दिवस पावन।।
उत्सवों का देश भारत रंग होली।
दीप - उत्सव है दिवाली नव रँगोली।
विजय दशमी है'शुभम'शिव शक्ति ध्यावन।
राष्ट्र की आराधना का दिवस पावन।।
🪴 शुभमस्तु !
२०.०१.२०२१◆४.४५पतनम मार्त्तण्डस्य।
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