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✍️ शब्दकार ©
🌞 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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मौन विचरते।
देर न करते।।
सूरज दादा।
नेक इरादा।।
शीत पवन है।
बढ़ी गलन है।।
बँधे समय से।
हैं निर्भय वे।।
तेज हवाएँ।
रोक न पाएँ।।
छाते बादल।
करें न निर्बल।।
बढ़ते जाते।
हमें सिखाते।।
'यदि बाधाएँ।
पथ में आएँ।।
'रुको, न रोना।
सुस्त न होना।।
'साहस के सँग।
आता है रँग।।
'बढ़ते जाना।
कदम बढ़ाना।।
'तभी सफलता।
निर्भय चलता।।'
💐 शुभमस्तु !
१३.०१.२०२१◆११.१५
आरोहणम मार्तण्डस्य ।
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