शनिवार, 30 जनवरी 2021

सूरज दादा [बाल कविता]


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✍️ शब्दकार ©

🌞 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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मौन  विचरते।

देर  न करते।।


सूरज     दादा।

नेक    इरादा।।


शीत   पवन है।

बढ़ी  गलन है।।


बँधे   समय  से।

हैं   निर्भय  वे।।


तेज      हवाएँ।

रोक   न पाएँ।।


छाते     बादल।

करें  न निर्बल।।


बढ़ते     जाते।

हमें   सिखाते।।


'यदि    बाधाएँ।

पथ  में  आएँ।।


'रुको,   न  रोना।

सुस्त   न होना।।


'साहस   के सँग।

आता   है   रँग।।


'बढ़ते      जाना।

कदम   बढ़ाना।।


 'तभी   सफलता।

निर्भय    चलता।।'


💐 शुभमस्तु !


१३.०१.२०२१◆११.१५

 आरोहणम मार्तण्डस्य ।


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