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✍️ शब्दकार ©
🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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किसे आज दुःख-ताप नहीं है।
किया न जिसने पाप नहीं है।।
किसका पेट भरा है धन से,
धन की कोई माप नहीं है।
चलती -फिरती नाटकशाला,
इस दुनिया की नाप नहीं है।
परहित से मन खिल उठता है,
इससे उत्तम जाप नहीं है।
माता-पिता सताता है जो,
भीषण इससे शाप नहीं है।
आप - आप में जो खोया है,
दादुरता क्या ताप नहीं है?
खाता इसका गाता उसका ,
देशद्रोह क्या शाप नहीं है ?
💐 शभमस्तु !
२४.०१.२०२१◆६.१५आरोहणम मार्त्तण्डस्य।
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