बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

बीती आधी रात ● [ नवगीत ]

 051/2024

            

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

●© शब्दकार

● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

काका सोए 

नहीं अभी तक

बीती  आधी  रात।


हुक्का गुड़-गुड़

बता रहा है

जाग रहा है मौन।

दे सुझाव सो

 जाओ काका

खटका कुंडी कौन।।


कर लेते हैं

बीच -बीच में

बुढ़िया से दो बात।


खाँसी उठती

कभी जोर की

खों -खों का स्वर जोर।

गला रुँधाता

साँस न आती

उठती तड़प-हिलोर।।


खाँसी है तो 

क्यों पीते हो

देती  है  ये  घात।


कुंडी खटका

नाती बोला 

लो बाबा जी चाय।

अदरक वाली

माँ ने भेजी

खाँसी होगी बाय।।


नींद चैन की

आ जाए फिर

मिनट पाँच या सात।


●शुभमस्तु !


07.02.2024●3.15प०मा०

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...