051/2024
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●© शब्दकार
● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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काका सोए
नहीं अभी तक
बीती आधी रात।
हुक्का गुड़-गुड़
बता रहा है
जाग रहा है मौन।
दे सुझाव सो
जाओ काका
खटका कुंडी कौन।।
कर लेते हैं
बीच -बीच में
बुढ़िया से दो बात।
खाँसी उठती
कभी जोर की
खों -खों का स्वर जोर।
गला रुँधाता
साँस न आती
उठती तड़प-हिलोर।।
खाँसी है तो
क्यों पीते हो
देती है ये घात।
कुंडी खटका
नाती बोला
लो बाबा जी चाय।
अदरक वाली
माँ ने भेजी
खाँसी होगी बाय।।
नींद चैन की
आ जाए फिर
मिनट पाँच या सात।
●शुभमस्तु !
07.02.2024●3.15प०मा०
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