76/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
सरसों फूली
खेत - खेत में
चहुँ दिशि छाया मोद।
फ़ागुन आया
ऋतु माधव की
मची हुई है धूम।
तितली भँवरे
कली - कली को
रहे डाल पर चूम।।
खेल रहे हैं
पाटल पर जा
अलि-शावक नित गोद।
कोयल कूके
अमराई में
कुहू-कुहू की टेर।
बौराई है
डाली -डाली
कीटों ने ली घेर।।
सेमल टेसू
खिले नाचते
कीर रहे फल खोद।
होली के रँग
की तैयारी
सजा रही नव साज।
धर ललाट पर
माधव आया
रंग - बिरंगा ताज।।
कामदेव की
सेना उमड़ी
सिमट रहा है ओद।
शुभमस्तु!
27.02.2024●7.30 आ०मा०
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