068/2024
समांत : अर
पदांत : अपदांत
मात्रभार : 16.
मात्रा पतन : शून्य।
© शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
हवा बह रही शुभद सुभगतर।
गूँज उठा विटपों में मर -मर।।
पड़ती है पदचाप सुनाई,
प्रिय ऋतुराज आ रहा घर -घर।
खेत बाग वन सुमन खिले बहु,
झूम रहे तितली दल मधुकर।
पीपल निम्ब शिंशुपा झरते,
अवनी पर होता नित पतझर।
अमराई में कूके कोकिल,
जपते भक्त शिवालय हर - हर।
सुमन सुनिर्मित कामदेव का,
धनुष तना है चलता सर - सर।
'शुभम्' हँस रहा बूढ़ा पीपल,
लाल अधर स्मितियाँ भर - भर।
●शुभमस्तु !
19.02.2024● 7.00 आ०मा०
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