60/2024
© शब्दकार
डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
माघ मास तिथि पंचमी, शुक्ल पक्ष की आज।
शुभ वसंत आया धरा, धरे शीश पर ताज।।
खिले वसंती फूल हैं, गेंदा सरसों भव्य।
नाच रहे वन बाग में, मोर मनोहर नव्य।।
कोयल कूके डाल पर, झूमें भ्रमर अबाध।
मधुपाई मधु के लिए, मन में साधे साध।।
बूढ़ा पीपल हँस रहा, अधर हुए हैं लाल।
कली खिली कचनार की, शरमा घूँघट डाल।।
रंग - बिरंगे पट धरे, तितली दल के झुंड।
क्यारी में उड़ते फिरें, तरु पर काकभुसुंड।।
वीणावादिनि शारदा , का शुभ दिन है आज।
पूजा अर्चन हम करें, सजा शुभंकर साज।।
कवियों का शुभ पर्व है, वीणापाणि महान।
कवि को देतीं भाव रस, शब्द शक्ति - संधान ।।
महुआ - वन की रम्यता, छाई है कुछ और।
आए हैं ऋतुराज जी, षडऋतु में सिरमौर।।
कोंपल हरियाने लगीं, पीपल नीम बबूल।
क्यारी में पाटल खिले, रखवाले हैं शूल।।
पीत वसन तन धार कर, मना वसंती पर्व।
मात शारदा का करें, वंदन आज सगर्व।।
●शुभमस्तु !
14.02.2024 वसंत पंचमी ●8.00आ०मा०
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