59/2024
© शब्दकार
डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
पीली - पीली
सरसों फूली
नाच रहे हैं खेत।
फूल बसंती
महक रहे हैं
लगा रही पिक टेर।
कब आओगे
मोहन प्यारे
करो न इतनी देर।।
डाल-डाल पर
भ्रमर झूमते
मधुपाई मधु हेत।
पीत शाटिका
धार देह पर
फूली धरती आज।
आए हैं अब
ऋतुराजा जी
सजा शीश पर ताज।।
निकले झुंड
तितलियों के भी
उड़ते बहु समवेत।
मातु शारदा
की पूजा का
तिथि पंचमी बसंत।
वीणावादन
का स्वर गूँजा
कविता 'शुभम्' भनंत।।
हरियाया है
बूढ़ा पीपल
मूढ़ मनुज तू चेत।
●शुभमस्तु !
13.02.2024●8.00 आ०मा०
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें