रक़ीबों से दामन बचाकर तो देखो।
मुहब्बत की खुशियाँ लुटाकर तो देखो।
किनारे पे मोती मिले हैं भला क्या,
समंदर में गोता लगाकर तो देखो।
ये दिल तो मुहब्बत की ख़ातिर मचलता,
जरा दिल को दिल से मिलाकर तो देखो।
तुम्हें अपनी मंज़िल यक़ीनन मिलेगी,
पसीने की गंगा बहाकर तो देखो।
'शुभम' तेरी मंज़िल है कदमों के नीचे,
दिया हसरतों का जलाकर तो देखो।।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता©
⛱ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
www.hinddhanush.blogspot.in
20.09.2019◆4.45अपराह्न
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