विधि की अद्भुत रचना प्यारी।
चश्मा टेकन की तैयारी।।
एक नाक दो कान बनाए।
सूँघें खुशबू सुन भी पाएँ।।
ऊँची उठी केंद्र में न्यारी।
चश्मा टेकन की तैयारी।।
दो - दो नथुने लेते साँस।
लें रुमाल जब आए बास।।
चश्मे से नासा की यारी।
चश्मा टेकन की तैयारी।।
अपनी कमर लादकर चश्मा।
बढ़ा रहा चेहरे की सुषमा।।
टाँगे कान दो डंडी कारी।
चश्मा टेकन की तैयारी।।
दादी बाबा के चेहरे पर।
ख़ूब देखते हैं ,बहरे पर।।
नहीं नाक पर चश्मा भारी।
चश्मा टेकन की तैयारी।।
दोनों कान मदद करते हैं।
वहीं डंडियों को रखते हैं।।
सहयोगी भावना हमारी।
चश्मा टेकन की तैयारी।।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🤓 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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