सोमवार, 1 जुलाई 2024

माता मेरी शारदा [ दोहा गीतिका ]

 294/2024

             


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


माता   मेरी   शारदा,  विमल    विशद   विश्वास।

कण -कण में उर  के बसा,कवि वाणी का दास।।


भाग्य  मनुज  का  जन्म  है, कवि होना सौभाग्य,

कवि   की  वाणी में सदा, वीणापाणि    उजास।


क्षण - क्षण   करता वंदना,  वरदायिनी   सुपाद,

सदा  समर्पित  मातु  हित,कवि का सारा श्वास।


शब्दों  के  शुभ  कोष में, जनहित बसे    अपार,

शुष्क   न   हो  ये  दूब की, हरियाये नित  घास।


एक   भरोसा  एक   बल,  शब्द  अर्थ   आधार,

अलंकार   नव   छंद की , सबल एक ही   आस।


जन्म - जन्म    मैं   माँगता, मिले सदा   आशीष,

सफल नित्य कवि धन्य  हो,ज्यों आनन पर हास।


'शुभम्'  चरण  वंदन  करे,विनत सदा  मम शीश,

शक्ति  बने   संसार  की, काव्याकृति अनुप्रास।


शुभमस्तु !


01.07.2024●2.15आरोहणम मार्तण्डस्य।

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