313/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
लालटेन ले जुगनू आए।
अम्बर में जब बादल छाए।।
रातों में उजियारा लाएँ।
भूलों को हम राह दिखाएँ।।
हमें देख दीपक शरमाए।
लालटेन ले जुगनू आए।।
देखो गरज रहे हैं बादल।
सघन अँधेरा बरगद के तल।।
झींगुर दल ने गाने गाए।
लालटेन ले जुगनू आए।।
जब तक निकलें सूरज दादा।
मिटे अँधेरा अपना वादा।।
सब मिल जुगनू शीघ्र सिधाए।
लालटेन ले जुगनू आए।।
आज न आए चंदा मामा।
पहन ओढ़ कर पीला जामा।।
भुटिया के दानों पर छाए।
लालटेन ले जुगनू आए।।
'शुभम्' धरा के हम हैं तारे।
मिटा रहे हम सब अँधियारे।।
पावस में नाचे हरषाए।
लालटेन ले जुगनू आए।।
शुभमस्तु !
16.07.2024●12.30प०मा०
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