324/2024
छंद विधान:
1.भगण (211) गुरु गुरु (22)
2.दो -दो चरण समतुकांत।
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
श्याम हमारे।
धाम पधारे।।
सावन आया।
भावन पाया।।
आवत राधा।
मेटत बाधा।।
रास रचैया।
कान्ह कन्हैया।।
ग्वाल खड़े हैं।
द्वार पड़े हैं।।
आज न आई।
एक लुगाई।।
गाय चराने।
मौज मनाने।।
कौन न जाता।
जो ब्रज भाता।।
ऊजर काया।
नाम कमाया।।
आज न गोरी।
हार न मोरी।।
शुभमस्तु !
28.07.2024●6.30आ०मा०
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