शनिवार, 27 जुलाई 2024

एक अनौखा खेल [गीतिका ]

 316/2024

            


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


पानी   से    शुभ   मेल   किया।

एक   अनौखा   खेल    किया।।


फिर   भी    कहते    दूध    मुझे,

नित   मिश्रण  की जेल    जिया।


नर -   नारी  तक   शुद्ध    नहीं,

इसीलिए   तो    फेल     किया।


अन्न    दाल   फल   सब्जी   ने,

पाप  मनुज  का   झेल   लिया।


संस्कार         संकरता      का,

घी   में    चर्बी     तेल     दिया।


अश्व -  लीद    है    धनिये    में,

सब कुछ जन ने   झेल  लिया।


'शुभम'  कहाँ  तक करें  बयान,

पानी    भरा     उँड़ेल     दिया।


शुभमस्तु !


21.07.2024●10.00आ०मा०

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