सोमवार, 1 जुलाई 2024

विमल विशद विश्वास [सजल]

 293/2024

       

समांत      : आस

पदांत       : अपदांत

मात्राभार   : 24.

मात्रा पतन : शून्य


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


माता   मेरी   शारदा,  विमल    विशद   विश्वास।

कण -कण में उर  के बसा,कवि वाणी का दास।।


भाग्य  मनुज  का  जन्म  है, कवि होना सौभाग्य।

कवि   की  वाणी में सदा, वीणापाणि    उजास।।


क्षण - क्षण   करता वंदना,  वरदायिनी   सुपाद।

सदा  समर्पित  मातु  हित,कवि का सारा श्वास।।


शब्दों  के  शुभ  कोष में, जनहित बसे    अपार। 

शुष्क   न   हो  ये  दूब की, हरियाये नित  घास।।


एक   भरोसा  एक   बल,  शब्द  अर्थ   आधार।

अलंकार   नव   छंद की , सबल एक ही   आस।।


जन्म - जन्म    मैं   माँगता, मिले सदा   आशीष।

सफल नित्य कवि धन्य  हो,ज्यों आनन पर हास।।


'शुभम्'  चरण  वंदन  करे,विनत सदा  मम शीश।

शक्ति  बने   संसार  की, काव्याकृति अनुप्रास।।


शुभमस्तु !


01.07.2024●2.15आरोहणम मार्तण्डस्य।

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