बुधवार, 17 जुलाई 2024

वर्षाकाल [ सजल ]

 301/2024

               

सामांत    :अल

पदांत       : अपदांत

मात्राभार  :16.

मात्रा पतन :शून्य।


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


वर्षाकाल       बरसते      बादल।

बूँद -बूँद   जल  झरता   निर्मल।।


कायाकल्प   हुआ    वसुधा  का ।

हरियाली   छाई    है   अविकल।।


आया    है     आषाढ़     महीना।

धूप    हुई   मेघों    में   ओझल।।


बहती   त्वरित  वेग  से    सरिता।

लहरें  उठतीं    करतीं  चल-चल।।


नाले -   नाली    बहा    ले   गए।

भरा  हुआ जो  काला   दलदल।।


कहीं आ रही कलकल की ध्वनि।

कहीं  बह रहा  पानी   छलछल।।


पावस   'शुभम्'  बनी   ऋतुरानी।

ऊपर  -   नीचे    है     वर्षाजल।।


शुभमस्तु !


08.07.2024●1.45आ०मा०

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