301/2024
सामांत :अल
पदांत : अपदांत
मात्राभार :16.
मात्रा पतन :शून्य।
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
वर्षाकाल बरसते बादल।
बूँद -बूँद जल झरता निर्मल।।
कायाकल्प हुआ वसुधा का ।
हरियाली छाई है अविकल।।
आया है आषाढ़ महीना।
धूप हुई मेघों में ओझल।।
बहती त्वरित वेग से सरिता।
लहरें उठतीं करतीं चल-चल।।
नाले - नाली बहा ले गए।
भरा हुआ जो काला दलदल।।
कहीं आ रही कलकल की ध्वनि।
कहीं बह रहा पानी छलछल।।
पावस 'शुभम्' बनी ऋतुरानी।
ऊपर - नीचे है वर्षाजल।।
शुभमस्तु !
08.07.2024●1.45आ०मा०
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