बुधवार, 17 जुलाई 2024

टर्र -टर्र टर मेढक बोला [बालगीत]

 312/2024312/2024

       


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्व'


टर्र  -  टर्र      टर     मेढक     बोला।

 अँधियारे     का      जागा    टोला।।


मेरे        बंधु      मेढको      आओ।

पोखर  में       डूबो       उतराओ।।

मीठा -  मीठा   मधु    रस    घोला।

टर्र -   टर्र    टर      मेढक   बोला।।


मेढकियों     को    बुला     रिझाएँ।

टर्र -   टर्र      का      गाना    गाएँ।।

उछला   मेढक     गोल  -   मटोला।

टर्र -  टर्र     टर      मेढक    बोला।।


देखो   रे      वर्षा    ऋतु      आई।

पछुआ   चले       कभी      पुरवाई।।

लहक       रहा  है     मेरा    चोला।

टर्र   -  टर्र    टर    मेढक    बोला।।


ताल   -   तलैया      भरते     सारे।

अब   तक    थे   गरमी   के  मारे।।

भोला  - भाला      दादुर      गोला।

टर्र - टर्र    टर     मेढक      बोला।।


'शुभम्'   शुभद   सावन   सरसाया।

काला    बादल    जल   भर लाया।।

खुशियों  से  अब   भर   लें  झोला।

टर्र  - टर्र     टर     मेढक    बोला।।


शुभमस्तु !


16.07.2024●11.45 आ०मा०

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        टर्र -टर्र टर मेढक बोला

                    [बालगीत]


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्व'


टर्र  -  टर्र      टर     मेढक     बोला।

 अँधियारे     का      जागा    टोला।।


मेरे        बंधु      मेढको      आओ।

पोखर  में       डूबो       उतराओ।।

मीठा -  मीठा   मधु    रस    घोला।

टर्र -   टर्र    टर      मेढक   बोला।।


मेढकियों     को    बुला     रिझाएँ।

टर्र -   टर्र      का      गाना    गाएँ।।

उछला   मेढक     गोल  -   मटोला।

टर्र -  टर्र     टर      मेढक    बोला।।


देखो   रे      वर्षा    ऋतु      आई।

पछुआ   चले       कभी      पुरवाई।।

लहक       रहा  है     मेरा    चोला।

टर्र   -  टर्र    टर    मेढक    बोला।।


ताल   -   तलैया      भरते     सारे।

अब   तक    थे   गरमी   के  मारे।।

भोला  - भाला      दादुर      गोला।

टर्र - टर्र    टर     मेढक      बोला।।


'शुभम्'   शुभद   सावन   सरसाया।

काला    बादल    जल   भर लाया।।

खुशियों  से  अब   भर   लें  झोला।

टर्र  - टर्र     टर     मेढक    बोला।।


शुभमस्तु !


16.07.2024●11.45 आ०मा०

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