312/2024312/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्व'
टर्र - टर्र टर मेढक बोला।
अँधियारे का जागा टोला।।
मेरे बंधु मेढको आओ।
पोखर में डूबो उतराओ।।
मीठा - मीठा मधु रस घोला।
टर्र - टर्र टर मेढक बोला।।
मेढकियों को बुला रिझाएँ।
टर्र - टर्र का गाना गाएँ।।
उछला मेढक गोल - मटोला।
टर्र - टर्र टर मेढक बोला।।
देखो रे वर्षा ऋतु आई।
पछुआ चले कभी पुरवाई।।
लहक रहा है मेरा चोला।
टर्र - टर्र टर मेढक बोला।।
ताल - तलैया भरते सारे।
अब तक थे गरमी के मारे।।
भोला - भाला दादुर गोला।
टर्र - टर्र टर मेढक बोला।।
'शुभम्' शुभद सावन सरसाया।
काला बादल जल भर लाया।।
खुशियों से अब भर लें झोला।
टर्र - टर्र टर मेढक बोला।।
शुभमस्तु !
16.07.2024●11.45 आ०मा०
●●●
टर्र -टर्र टर मेढक बोला
[बालगीत]
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्व'
टर्र - टर्र टर मेढक बोला।
अँधियारे का जागा टोला।।
मेरे बंधु मेढको आओ।
पोखर में डूबो उतराओ।।
मीठा - मीठा मधु रस घोला।
टर्र - टर्र टर मेढक बोला।।
मेढकियों को बुला रिझाएँ।
टर्र - टर्र का गाना गाएँ।।
उछला मेढक गोल - मटोला।
टर्र - टर्र टर मेढक बोला।।
देखो रे वर्षा ऋतु आई।
पछुआ चले कभी पुरवाई।।
लहक रहा है मेरा चोला।
टर्र - टर्र टर मेढक बोला।।
ताल - तलैया भरते सारे।
अब तक थे गरमी के मारे।।
भोला - भाला दादुर गोला।
टर्र - टर्र टर मेढक बोला।।
'शुभम्' शुभद सावन सरसाया।
काला बादल जल भर लाया।।
खुशियों से अब भर लें झोला।
टर्र - टर्र टर मेढक बोला।।
शुभमस्तु !
16.07.2024●11.45 आ०मा०
●●●
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें