215/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
खंड -खंड हो रही धरा ये
वृथा स्वर्ग की बात।
पहलगाम बंगाल पश्चिमी
केरल तमिलस्थान
मानवता पददलित रक्त से
रंजित हिंदुस्तान
मनुज देह में नर पिशाच का
नित्य भयंकर घात।
सरकारें सब शून्य हो रहीं
कहाँ प्रशासन शेष
नहीं आदमी लगे आदमी
रहे अजा या मेष
कौन कहेगा उस मानव को
अब मानव की जात।
इतना निर्मम ढोर जंगली
कभी न हो बीमार
प्रश्न चिह्न है अब मानव पर
लेगा कौन उबार
शेर और चीते सब पीछे
किसकी शेष बिसात।
शुभमस्तु!
23.04.2025●3.45प०मा०
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