गुरुवार, 10 अप्रैल 2025

तीर्थंकर भगवान महावीर [ दोहा]

 196/2025

       

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

तीर्थंकर       चौबीसवें,    महावीर भगवान।

वैशाली   गणराज्य   में, जन्मे  धीर महान।।

जन्मे   क्षत्रियकुण्ड   में,क्षत्रिय  था परिवार।

महावीर भगवान जी,महिमा अमित अपार।।


तीस   वर्ष   की  आयु में,त्याग दिया घरबार।

संन्यासी    के  रूप   में,  महावीर शुभकार।।

द्वादश वर्षों तक किया,कठिन साधना  यज्ञ।

पाया   केवलज्ञान   को,महावीर मति  विज्ञ।।


आयु   बहत्तर वर्ष की,मिला मोक्ष का लाभ।

महावीर   भगवान का,धन्य हुआ माँ-गाभ।।

बिम्बिसार  चेटक  सहित,अनुयायी भगवंत।

महावीर  के शिष्य थे, राजा कुणिक सुसंत।।


हिंसा पशुबलि  जातिगत, भेदभाव कर नष्ट।

महावीर   कल्याणकर,   हुए    हृदय  संतुष्ट।।

पंचशील   के   पाठ का,दिया सकल  संदेश।

महावीर   भगवान    ने, धरे  संत का    वेश।।


महावीर    भगवान  का, सबके लिए   समान । 

आत्मधर्म   कल्याणप्रद, मानव जीव  महान।।

'जिओ  और  जीएं सभी',  यह संदेश  महान।

महावीर   ने  विश्व  को,दिया महा शुभ  ज्ञान।।


सत्य    अहिंसा  पंथ  से, होता  जग -कल्याण।

महावीर   भगवान    की,   वाणी   देती  त्राण।।

शुभमस्तु !


09.04.2025●11.45आ०मा०

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