सोमवार, 28 अप्रैल 2025

कौन करे उपचार [नवगीत]

 214/2025

            


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


रोग एक ही सबको हो तो

कौन करे उपचार।


आम खास कोई भी ऐसा

जिसे नहीं हो रोग

पड़े मौन सब खाज खुजाते

काम न आए योग

मान रहे हैं खुशी-खुशी सब

ईजादक -आभार।


सबको ज्ञान बाँटता शिक्षक

स्वयं न लेता सीख

उपचारक क्या करे बिचारा

चूस रहा वह ईख

संविधान की धाराओं  से

रोगिल जन लाचार।


सबने  हाथ खिलौना थामा

और न सूझे काम

अतिथि द्वार से प्यासा लौटे

मौन पड़े हैं धाम

'शुभम्' छूत ही ऐसी मीठी

समझ रहा उपहार।


शुभमस्तु !


23.04.2025●3.30प०मा०

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