शनिवार, 19 अप्रैल 2025

समाधान [ दोहा ]

 207/2025

                 

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


समाधान   सब  चाहते,करते नहीं प्रयास।

सहयोगी  हो   भावना, रहती नहीं खटास।।

समाधान   यदि चाहिए,जाग्रत रहे विवेक।

शंकाएँ    सब   दूर  हों, बाधा  टलें अनेक।।


समाधान  से  शांति का,खिलता है नव फूल।

समझौतावादी     बनें,  धारण    करें  उसूल।।

समाधान  सुख चैन  की, करता है बरसात।

मिटते  सभी  तनाव हैं, होता नवल प्रभात।।


शांतिवार्ता   से   सभी,  शंकाएँ   कर   दूर।

समाधान  मिलते  सभी,  स्वाद भरे भरपूर।।

समाधान  में  भाव  का, बहुत बड़ा है  मान।

मन में  नहीं   कुभाव  हो,मिले नेह का दान।।


नहीं  पाक  को  चाहिए, समाधान की  शांति।

जेहन में उसके बसी, सदा कपट कटु भ्रांति।।

समाधान  धृतराष्ट्र  का, नहीं लक्ष्य था   एक।

छाया  कपट चरित्र में, क्रूर कुटिल अविवेक।।


समाधान सुख शांति  का, एक सुखद संदेश।

वरना  दुःख  अशांति ही, आती बदले   वेश।।

समाधान  जो  जानते,  बुद्धिमान  नर  धीर।

रहते नेहिल   भाव से,सघन तमस को  चीर।।


उलझाते  जो  काज  को, उनमें नहीं विवेक।

 समाधान कैसे करें  ,बद कथनी  की  टेक।।


शुभमस्तु !


16.04.2025● 9.15आ०मा०

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