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✍️ शब्दकार ©
🏵️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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देशभक्ति कहते किसे,किस चिड़िया का नाम
नहीं जानते देश जन,करते नमक हराम।।
नारों से होता नहीं , कभी देश उद्धार,
देशभक्ति के नाम पर,करते हैं बदनाम।
बने देश पर भार जो, बंगला गाड़ी मुफ़्त,
सुविधाएं सब मुफ़्त की,चमकाना बस चाम।
कर चोरी जो कर रहे, वैभव के भंडार,
देशभक्त कहला रहे, वे ही चारों धाम।
जिन पर कोई वश नहीं,जैसे छुट्टा बैल,
खुले फ़सल को खा रहे,मुखपट नहीं लगाम।
सौ- सौ चलें मुकद्दमे, फिर भी दुग्धस्नात,
शीत नहीं उनको लगे,लगे न गर्मी घाम।
जितना लोहू चूसते , उतना ऊँचा नाम,
'शुभम' स्वर्ग की सीढ़ियाँ,सजा गए सुरधाम।
💐 शुभमस्तु !
15.12.2020◆8.00अपराह्न।
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