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✍️शब्दकार ©
🍁 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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छोटी - सी डिबिया मनभाई।
कहते मुझको दियासलाई।।
चूल्हे में मैं आग जलाती।
बर्नर गैस -स्टोव सुलगाती।।
सब्जी, रोटी नित बनवाई।
कहते मुझको दियासलाई।।
लड्डू , पेड़ा, रबड़ी मीठी।
मधुर जलेबी या हो पीठी।।
सदा बनाते सभी मिठाई।
कहते मुझको दियासलाई।।
पानी , दूध गर्म मैं करती।
पानी में गिरने से डरती।।
गर्मी मुझमें सदा समाई।
कहते मुझको दियासलाई।।
दीप जलाती हवन कराती।
देव- आरती भी करवाती।।
नर - नारी को खूब सुहाई।
कहते मुझको दियासलाई।।
ठिठुरे जाड़े से जब दादी।
पहने बैठी सूती खादी।।
अगियाने में आग जलाई।
कहते मुझको दियासलाई।।
अग्निदेव मुझमें रहते हैं।
सभी लोग सच ही कहते हैं।।
'शुभम'देव बन जग में छाई।
कहते मुझको दियासलाई।।
💐 शुभमस्तु !
2012.2020◆12.30अपराह्न।
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