गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

नहीं चिचियाती गौरैया [ गीत ]


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✍️शब्दकार©

🦜 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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नहीं    चिचियाती    गौरैया।

लता   में  नीड़   नहीं भैया।।


कोयल नहीं टेर अब देती।

झेंपुल की झंकार न एती।।

भजन कब करती पिड़कुलिया।

नहीं    चिचियाती  गौरैया ।।


घर की छत पर मोर न नाचे।

नहीं    गुटरगूँ   भरे कुलांचे।।

नहीं  खग   करते   ता-थैया।

नहीं   चिचियाती   गौरैया ।।


पावस गई    न आए खंजन।

विदा हुए   कैसे मन  रंजन।।

गई वट,   पीपल  की  छैयां।

नहीं   चिचियाती   गौरैया।।


नहीं जगाती अब कुक्कड़ कूँ।

बुलबुल प्यारी नहीं फुदक फूँ ।

खगों   की     डूब  रही   नैया। 

नहीं   चिचियाती    गौरैया।।


कागा कब  मुँडेर  पर  बोले!

चंचु  शगुन में  कैसे  खोले??

पपैया   कहाँ     गए    भैया!

नहीं   चिचियाती    गौरैया।।


💐 शुभमस्तु !


03.12.2020◆2.45अपराह्न।



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