रविवार, 20 दिसंबर 2020

आग लगाना काम हमारा [ चौपाई ]

 

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✍️ शब्दकार 

🦩 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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आग  लगाना   काम  हमारा।

कृषक जले या कुनबा सारा।।

धरती उनकी  फ़सल  हमारी।

वे   बोएँ    काटें   हम  सारी।।


हम   भड़काते    बहकाते  हैं।

मदिरा हम   ही  पिलवाते हैं।।

सच को भी  सच नहीं मानते।

सीधी   राहें    नहीं   जानते।।


वे  पूरब  हम   पश्चिम  जाते।

उलटी  पट्टी   सदा   पढ़ाते।।

जो करता अनुगमन हमारा।

वही हमारा  सबसे  प्यारा।।


मुद्दे  बदल- बदल  कर आते।

सत्ता  के    झंडे    जलवाते।।

है   कुख्यात   चरित्र  हमारा।

अज्ञानी  बन  गया   सहारा।।


नहीं   देश   से   लेना -  देना।

सत्ता को बस  हथिया लेना।।

जैसे  भी  हो  हम  हथियाएँ।

ऊँचा सिंहासन   पा   जाएँ।।


देशभक्ति   खूँटी  पर   टाँगी।

मुर्गे   जैसे   हम  सब बाँगी।।

सीधे - सच्चों   को  मरवाएँ।

ऐसे   हुनर   हाथ  में  पाएँ।।


लगा  मुखौटे   हम  आते  हैं।

बस निरीह   को  मरवाते हैं।।

बहु  रूपों   में  हम  हैं  आते।

कृषकजनों को लुभा सताते।।


नहीं आँच  हम  पर  है आती।

कृषक और मजदूर जलाती।।

जब   सत्ता  में  हम आते हैं।

नियम   बदल  सारे जाते हैं।।


करतूतों  के  हम  नायक  हैं।

नहीं देश के  सुत लायक हैं।।

असली  रूप ,वेश  के  नीचे।

हमने   नागफनी  ही सींचे।।


आस्तीन   में    हम   पलते हैं।

जन जन को छल से छलते हैं।

'शुभम'नहीं कल्याण  हमारा।

डूब   रहा   है  अपना  तारा।।


💐 शुभमस्तु !


09.12.2020◆ 10.00पूर्वाह्न।


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