मंगलवार, 29 दिसंबर 2020

भोजन,पानी और हम [ दोहा ]

  

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✍️ शब्दकार ©

🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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भोजन  करके  लेटिए,साँसें आठ   उतान।

सोलह  दाएँ लीजिए,बत्तिस वाम सुजान।।


भोजन  के उपरांत जब,लेटेंगे कुछ    देर।

पाचन होगा उचित ही,रुग्ण न होंगे  फेर।।


भोजन  के  उपरांत ही,करके कुछ   आराम।

सौ पग धीमे घूमिए,सुबह और नित  शाम।।


भोजन  के  उपरांत  मत,पीना पानी   मीत।

बिता  आध घंटा तभी,पीवें जल  सँग प्रीत।


सुबह जाग पानी पिएँ,पहले चार  गिलास।

पानी हो यदि गुनगुना,उचित न मानें हास।।


उठें  गुनगुना  नीर पी,उदर स्वच्छ  हो मीत।

स्वस्थ रहें तन मन सभी, उचित यही है रीत।


भोजन  के उपरांत भी,नीर गुनगुना   ठीक।

पाचन अच्छा हो 'शुभं',स्वस्थ रहे तन नीक।।


नित्य  गरारे जो  करे,हो विषाणु  से मुक्त।

कोरोना  भी दूर हो,अनुभव है ये  भुक्त।।


बाहर से आएँ कभी,धोकर मुँह,पद, हाथ।

पानी रुककर ही पिएँ,ताजा ही हो गाथ।।


नमक  हरिद्रा  डालकर, करें गरारे   रोज।

शुद्ध गलाअपना रखें,मुख का खिले सरोज।।


💐 शुभमस्तु !


25.12.2020◆5.30पूर्वाह्न

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