मंगलवार, 29 दिसंबर 2020

भोर जागरण [ बालगीत ]


◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

✍️ शब्दकार ©

🌄 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

भोर  - जागरण  है हितकारी।

खिल जाती तन-मन की क्यारी।।


भोर-जागरण जो भी करता।

बीमारी  से  कभी  न डरता।।

काम  न  कोई  लगता  भारी।

भोर -जागरण  है हितकारी।।


आलस कभी न हमें सताता।

तन-मन में फुर्ती भर लाता।।

ताकत कभी न हिम्मत हारी।

भोर-जागरण  है  हितकारी।।


शीघ्र   जागकर टहलें थोड़ा।

पड़े न रोगों का फिर कोड़ा।।

पीवें जल -गिलास नर-नारी।

भोर -जागरण  है हितकारी।।


उदर  स्वच्छ  कर करें गरारे ।

दातुन , मंजन  खूब  सँभारे।।

ताजा जल नहान की बारी।

भोर -जागरण है हितकारी।।


जल्दी    सोएँ  जल्दी  जागें।

निद्रा - मोह शीघ्र उठ त्यागें।।

'शुभम'   प्रातराश    तैयारी।

भोर -जागरण है हितकारी।।


💐 शुभमस्तु !


29.12.2020◆9.45 पूर्वाह्न।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...