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✍️ शब्दकार ©
🌄 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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भोर - जागरण है हितकारी।
खिल जाती तन-मन की क्यारी।।
भोर-जागरण जो भी करता।
बीमारी से कभी न डरता।।
काम न कोई लगता भारी।
भोर -जागरण है हितकारी।।
आलस कभी न हमें सताता।
तन-मन में फुर्ती भर लाता।।
ताकत कभी न हिम्मत हारी।
भोर-जागरण है हितकारी।।
शीघ्र जागकर टहलें थोड़ा।
पड़े न रोगों का फिर कोड़ा।।
पीवें जल -गिलास नर-नारी।
भोर -जागरण है हितकारी।।
उदर स्वच्छ कर करें गरारे ।
दातुन , मंजन खूब सँभारे।।
ताजा जल नहान की बारी।
भोर -जागरण है हितकारी।।
जल्दी सोएँ जल्दी जागें।
निद्रा - मोह शीघ्र उठ त्यागें।।
'शुभम' प्रातराश तैयारी।
भोर -जागरण है हितकारी।।
💐 शुभमस्तु !
29.12.2020◆9.45 पूर्वाह्न।
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