शनिवार, 19 दिसंबर 2020

हाथी की हस्ती कितनी!🐜
 [ लघु कहानी ] 
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✍️ लेखक © 
🐘 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम
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                     एक बड़े जंगल में चुनाव हुआ।कुछ जंगली पशुओं ने मिलकर हाथी को अपना प्रत्याशी बनाया।चूहा, चींटी, खरगोश,हिरन,सियार,लोमड़, जिराफ़,बंदर,ऊदबिलाब, नेवला आदि सब जानवरों ने हाथी के ओजस्वी भाषणों के प्रभाव में आकर बहुमत के साथ मतदान किया।दूसरी ओर शेर को समर्थन देने वालों में चीता, भालू,उल्लू,चमगादड़, गिद्ध जैसे हिंसक जानवर रहे। जोर शोर से प्रचार किया गया। किन्तु अंततः हाथी की जीत हुई और शेर परास्त हो गया।चींटियों के करोड़ों के एकजुट मतदान के कारण शेर महाराज पुनः जंगल के राजा नहीं बन सके। मतदान आयोग के अध्यक्ष भालू जी ने हाथी को तीन वर्ष के लिए जंगल का राजा घोषित कर दिया। जोर शोर से जंगल में मंगल का उत्सव मनाया गया।
             हाथी को शेर से भय तो था, इसलिए जंगल का वन मंत्री शेर को बना दिया। फिर क्या ! जहाँ - जहाँ हाथी महाराज की सवारी जाती , शेर महाराज उनका दाहिना हाथ बनकर मूंछों पर ताव देते हुए आगे -आगे चलते । इसी प्रकार कुछ दिन व्यतीत हुए।
           एक दिन हाथी महाराज जंगल - भ्रमण पर निकले।शेर महाराज जो केंद्रीय वन मंत्री भी थे , साथ -साथ चल रहे थे।यकायक हाथी महाराज की दो बड़ी -बड़ी आँखों की तीव्र दृष्टि पंक्तिबद्ध जाती हुई चींटियों पर पड़ी। उन्होंने अपनी भारी - सी गर्दन शेर महाराज की ओर मोड़ी और पूछा। 
हाथी: मंत्री जी ! यह क्या देख रहा हूँ मैं ? 
शेर: महाराज ! ये चीटियाँ हैं ,जो अपने भविष्य के लिए चावल, गेहूँ, बाजरा, सरसों आदि के दाने एकत्र करके अपने भूमिगत बिलों में स्थित भंडार ग्रहों में संग्रह करने ले जा रही हैं। देखिए न!किसी के मुँह में चावल है ,किसी के बाजरा ,किसी के कुछ अन्य खाद्यान्न । 
 हाथी:अरे! ये अंधेरगर्दी कैसे ! भला हमारे शासन में ये तुच्छ प्राणी अपना भंडार कैसे भर सकते हैं? हम इस जंगल के राजा हैं तो हमारा ये दायित्व है कि शेर,चीतों,गिद्ध,मच्छर,उल्लू, चमगादड़ वगैरह सबको उनका भोजन मिले। जब यही अपने घर भर लेंगी,तो जंगल की खाद्य व्यवस्था का क्या होगा? सब कुछ अव्यवस्थित हो जाएगा। नहीं, हम इन्हें ऐसा नहीं करने देंगे। आज ही शाम सात बजे एक आवश्यक विशेष सत्र का आयोजन कराइए औऱ कुछ ऐसे निर्णय लीजिए कि यह सब बन्द हो ।ये ठीक है ,इनके ही विशेष औऱ सक्रिय मतदान से हम राजा बने हैं ,लेकिन आज हम सब जंगली जीवों के राजा हैं ,तो हमारा दायित्व है कि हम हमारे अपने पशु परिवार को क्यों इससे वंचित रखें? उन्हें खाने का पूरा हक है। जैसे तुम्हें हमने किसी को भी मारकर खाने का विशेष अधिकार दिया हुआ है ,वैसे ही सबको भी मिले ! 
  शेर: जी महाराज !आज ही विशेष सत्र बुलाता हूँ और देखते हैं कि ये निरीह चींटियाँ कैसे खाद्यान्न का संग्रह कर पाती हैं! शाम को सात बजे बाकायदा विशेष सत्र का आयोजन हुआ और सर्वसम्मति से कानून बनाया गया कि:- १.चींटियों को बिल में रहने का कोई अधिकार नहीं है।
 २.यदि चींटियाँ बिल में रहना ही चाहती हैं ,तो उन्हें किसी प्रकार के भंडारण की अनुमति नहीं है।
 ३.चींटियां यथाशीघ्र अपने बिलों को छोड़ने की तैयारी करें, और जमीन पर रहें।रोज कमाएं रोज खाएँ।इसके लिए उन्हें एक महीने का समय दिया जाता है।
            विशेष सभा में किसी कोने से एक चूहे की आवाज आई कि महाराज आप यह अन्याय कर रहे हैं। जिन के बल पर आप राजा बने , उन्हीं पर अत्याचार ! ये उचित नहीं हैं। अपको इन चींटियों की एकता औऱ शक्ति का अनुमान नहीं है । एक दिन आप हमें भी इसी प्रकार धरती से बेदखल करके अपनी पालतू बिल्लियों का ग्रास बना देंगे। औऱ हमारा अस्तित्व मिटा देंगे। क्या हमने आपको इसी दिन के लिए मत दिया औऱ राजा बनाया था? कि आप हमारी जड़ें ही खोदने पर उतारू हो जाएँ? ये सरासर अन्याय है।अत्याचार है! 
  हाथी: क्या कर लेंगीं ये तुच्छ चीटियाँ! एक ही पैर से मसलकर इन्हें ऊपर न पहुँचा दिया तो मेरा भी नाम राजा हाथी नहीं ।मसलकर रख दूँगा। मैं सबका राजा हूँ, सिर्फ़ चींटियों का नहीं। तुम चूहों का नहीं। देखता हूँ ,इनकी और तुम्हारी एकता की पॉवर? हूँ!!!....... कर लेना जो करना हो। 
          अगले दिन तो जैसे जंगल में आग ही लग गई। जंगल के सारे अख़बार और टीवी चैनल एक ही समाचार को ब्रेकिंग न्यूज बनाकर सुर्खियों से भरने लगे।जैसा हाथी राजा ने चाहा ,वैसा फ़रमान जारी हो गया। निरीह चींटियां पहले तो बहुत दुःखी हुईं । बाद में कुछ बुजुर्ग चूहों के आश्वासन के बाद उनमें जोश आ गया।और हाथी राजा की राजधानी के चप्पे-चप्पे पर चींटियाँ ही चींटियाँ, चूहे ही चूहे ! फिर क्या ! हाथी को अपनी सूंड़ को बचाने की ख़ातिर जो करना पड़ा , वह सब जानते हैं कि कैसे एकता की शक्ति के समक्ष उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। कुछ हज़ार चींटियां जब उनकी नाक में यात्रा करने लगीं तो जान की आफ़त ही मोल ले ली। ये सोचकर उन्होंने अपने हथियार डालना ही उचित समझा। और सारा जंगल चींटी-चूहा एकता जिंदाबाद के नारों से गूँज उठा। 

💐 शुभमस्तु!

 04.12.2020◆3.30अपराह्न।

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