393/2023
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● ©शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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अंक मात्र अब आदमी,शेष नहीं है नाम।
पहचानें बस अंक से, संज्ञा हुई तमाम।।
अंकों के निज अंक में,आँख लगाए लोग,
अंकों से दिन-रात अब,पड़ता सबको काम।
नौ तक अरबों अंक हैं,लेकर प्यारा शून्य,
मोबाइल , सेवा सभी, या हो कोई धाम।
नाप ,तौल,दूरी सभी, पृथक इकाई - बंध,
अंकों से सरकार भी, पाती उच्च मुकाम।
कैदी कारागार में, रोगी का उपचार,
शव पर भी है अंक ही,गया पास जो राम।
नौ ग्रह,षटरस,सप्त ऋषि,गुण हैं केवल तीन,
चंदा - सूरज नेत्र दो, ईश्वर एक प्रनाम।
'शुभम्' अंक में जग बँधा, अंकों का विज्ञान,
याद किया जो अंक को,याद न आए चाम।
● शुभमस्तु !
02.09.2023◆9.45 आ०मा०
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