सोमवार, 4 सितंबर 2023

अंक मात्र अब आदमी ● [ दोहा गीतिका ]

 393/2023

 

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● ©शब्दकार 

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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अंक मात्र अब आदमी,शेष नहीं है नाम।

पहचानें  बस  अंक से, संज्ञा हुई   तमाम।।


अंकों  के निज  अंक में,आँख लगाए  लोग,

अंकों से  दिन-रात अब,पड़ता सबको काम।


नौ तक  अरबों  अंक हैं,लेकर प्यारा   शून्य,

मोबाइल , सेवा  सभी, या हो कोई    धाम।


नाप ,तौल,दूरी  सभी,  पृथक इकाई -  बंध,

अंकों  से  सरकार  भी, पाती उच्च  मुकाम।


कैदी   कारागार   में,    रोगी  का   उपचार,

शव  पर भी है  अंक ही,गया पास  जो राम।


नौ ग्रह,षटरस,सप्त ऋषि,गुण  हैं केवल तीन,

चंदा -  सूरज   नेत्र   दो,  ईश्वर एक    प्रनाम।


'शुभम्' अंक में जग बँधा, अंकों  का विज्ञान,

याद किया जो अंक को,याद न  आए   चाम।


● शुभमस्तु !


02.09.2023◆9.45 आ०मा०

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