408/2023
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●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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आओ शिव- गौरी के नंदन।
तुम्हें पूजने का करता मन।।
शुभदा गणेश -चतुर्थी वेला।
जहाँ - तहाँ लगते बहु मेला।।
मोदक तुम्हें खिलाते सब जन।
आओ शिव - गौरी के नंदन।।
धूप,पान,फल ,फूल चढ़ाऊँ।
अर्चन कर तव आरति गाऊँ।।
घुँघरू बाँध नाच लूँ छुम छन।
आओ शिव -गौरी के नंदन।।
तुम धन -धान्य ज्ञान के दाता।
शिवजी पिता शिवा तव माता।।
भोग लगाऊँ करें न ठनगन।
आओ शिव -गौरी के नंदन।।
भादों मास चतुर्थी आई।
शुक्ल पक्ष उजियारी छाई।।
जन्म दिवस विघ्नेश्वर पावन।
आओ शिव - गौरी के नंदन।।
संकट हरो कृपा कर स्वामी।
पितु सेवी प्रभु अंतर्यामी।।
'शुभम्'कृपा के डालें शुभ- कन।
आओ शिव -गौरी के नंदन।।
●शुभमस्तु !
17.09.2023◆7.45 प०मा०
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