416/2023
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● © शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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सच पर आज टिकी है दुनिया।
छल से रोज छकी है दुनिया।।
रूह और दिल की टक्कर है,
अपनी बनी नकी है दुनिया।
पढ़ने गया न कभी मदरसा,
ले मुबाइल पकी है दुनिया।
शौहर चला रही हर बीबी,
जीत न उसे सकी है दुनिया।
नई चाल के बच्चे जनमे,
अब अतफ़ाल ठगी है दुनिया।
सभी चाहते शहसवार हों,
जहरी बड़ी बकी है दुनिया।
'शुभम्' न रंग समझ में आते,
हमने खूब तकी है दुनिया।
●शुभमस्तु !
*नकी =शत्रु।
*अतफ़ाल =बच्चे।
*शहसवार =घुड़सवार।
*बकी=पूतना।
*तकी =देखी।
24.09.2023◆10.45आ०मा०
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