सोमवार, 4 सितंबर 2023

धीरे -धीरे चाँद पर● [ दोहा गीतिका ]

 392/2023

 

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●© शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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धीरे - धीरे   चाँद   पर,  टहल रहा   प्रज्ञान।

शोध निरंतर कर रहा,जिनसे जग अनजान।।


रहने  को   छोटी   पड़ी,धरती अपनी    आज,

नीयत में कुछ   खोट है,गया हुआ  कुछ  ठान।


अंधकार   में   दूर  की, कौड़ी करे    तलाश,

ऑक्सीजन , पानी  मिले, तभी  बचेंगे   प्रान।


दक्षिण  ध्रुव   की  शांति में, फेंके  पत्थर नित्य,

शांति नहीं अब भी मिली,चित्र  खींच अनुमान।


गया पलायन   वेग   से, विक्रम  ले   प्रज्ञान,

चन्द्रयान-त्रय को मिला,महत श्रेय अभियान।


कंप्यूटर  से भी   बड़ी,  बुद्धि  मनुज की मीत,

धाए   इतनी   तीव्र  धी,मन से अग्र    महान।


'शुभम्' न रुकना जानता, मानव   पा  गंतव्य,

शुक्र  भौम  पर खोजने,चलने को   है   यान।


●शुभमस्तु !


02.09.2023◆6.15आ०मा०

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