403/2023
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
● ©शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
खिचड़ी - प्रिय
जनता भारत की
खाए चावल -दाल,
'बट' 'शट' सीखे
हैलो ! हाय! हाय!!
गिटपिट हिंगलिश
करते नित्य कमाल।
आती नहीं
मातृभाषा भी,
अंग्रेज़ी के दास,
बनी प्रतिष्ठा
आज 'फ़िरंगिनि'
चरती हिंदी घास।
माँ की हुई न
संतति देशी
तोड़ें ए बी सी की टाँग,
मौसी से इतना
लगाव है,
खा बैठे जैसे भाँग।
नेता अधिकारी
संतति को
भेजें सभी विदेश,
हिंदी के बन
बड़े पक्षधर
प्रेम नहीं है लेश।
'शुभम्' चल रहे
नाटक नौटंकी
अब भी देश गुलाम।
मिले नौकरी
अंग्रेज़ी से
समझें हिंदी बेकाम।
देश की हालत ये है,
नारों का है देश,
यही हमारा क्लेश।
●शुभमस्तु !
14.09.2023◆9.45प.मा.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें