411/2023
[चतुर्थी,गणपति,आवाहन,
इंदुर,नैवेद्य]
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●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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● सब में एक ●
धन्य चतुर्थी तिथि हुई,जन्मे 'शुभम्' गणेश।
मुदित मातु गौरी बनी,जनक अकंप महेश।।
तिथि न एक शुभ-अशुभ है,ईश दिवस सब नेक।
भले चतुर्थी प्रतिपदा, चलें पंथ सविवेक।।
गणपति सदन पधारिए, कृपा करें भगवान।
शुभाशीष की कामना,धी,शुभ,लाभ महान।।
मोदक प्रिय गणपति सदा,आते हैं मम गेह।
कृपा बरसती नित्य ही,ज्यों पावस में मेह।।
भक्त शरण में आपकी,*आवाहन* कर नित्य।
शुभाशीष ही माँगते,दिनकर हे आदित्य।।
आवाहन के मंत्र का,करें शुद्ध उच्चार।
हो अनर्थ ही अन्यथा,मेटें मनस - विकार।।
इंदुर को कुछ सोचकर, वाहन बना गणेश।
चले परिक्रमा के लिए,भू-सम मान महेश।।
यदि हो दृढ़ संकल्प तो,चल इंदुर की चाल।
लक्ष्य मिलेगा शीघ्र ही,बने न काग मराल।।
गुरुवर का नैवेद्य यों,सहज नहीं है मीत।
मिले अंश भी शिष्य को,करे जगत में जीत।।
देवों के नैवेद्य का,पावन है प्रति अंश।
ग्रहण करें सम्मान से,होगा अघ-तम ध्वंश।।
● एक में सब ●
इंदुर वाहन पर चढ़े,आए गणपति द्वार।
आवाहन नैवेद्य सँग,करें चतुर्थी वार।।
●शुभमस्तु !
20.09.2023 ◆7.15आ०मा०
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