रविवार, 24 सितंबर 2023

ग़ज़ल ●

 415/2023

             

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● © शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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सच को सच कहते कब लोग!

खुदगर्जी में  हों  जब   लोग।।


झूठों   के   संग   भीड़   बड़ी,

उल्लू कर   सीधा  अब  लोग।


चश्मदीद   में    नहीं   ज़ुबान,

जातिवाद  में  रँग  सब  लोग।


कहें  नीम   को आज  बबूल,

कहते  दिन को भी शब लोग।


रीति-नीति   सब  चरतीं घास,

बदल रहे   अपने  ढब  लोग।


लंबी -चौड़ी    हाँकें      रोज,

वक्ती  बंद  करें  लब    लोग।


'शुभम्'  देखता  ऊँट पहाड़,

गुनें हक़ीकत को   तब लोग।


●शुभमस्तु 24.09.2023◆10.00 आ०मा०


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