सोमवार, 11 सितंबर 2023

कर्म मनुज का नित्य ● [ गीतिका ]

 399/2023

   

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● ©शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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सभी  पालते  श्वान, खाते यदि   वे    घास।

पीछे    है   इंसान,  मत  समझें  परिहास।।


कर्म  मनुज  का  नित्य,पथ पर  देखें  आप,

अनसुलझा औचित्य,कुक्कर जिनके पास।


होता   नित्य    नहान ,महके साबुन     देह,

बिस्तर  में   भी  श्वान ,नर  से   आती  बास।


फुटपाथों     पर    लोग,  सोते भूखे      पेट,

दूध - ब्रैड  का भोग,शुनक यहाँ  कुछ  खास।


गली - गली   में   घूम, यों तो करें     जुगाड़,

भौं - भौं  की  कर  बूम, करता रोटी  - आस।


कर्मों  का  परिणाम, भोग  रहे सब     जीव,

गिरती  योनि  धड़ाम, जीवन मात्र   प्रवास।


'शुभम्' मनुज की देह,सहज नहीं उपलब्ध,

अस्थि  माँस  का गेह,करना पड़े    प्रयास।


●शुभमस्तु !


10.09.2023◆11.45 प०मा०

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