रविवार, 24 सितंबर 2023

गिरगिटानन्द ● [अतुकान्तिका]

 412/2023

   

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●© शब्दकार 

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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इधर गिरगिट

उधर गिरगिट

लगाते दौड़ 

नित सरपट

फटाफट।


गूँगे नहीं हैं

बोलते भी हैं,

मिटाने

 जीभ की खुजली,

मंच सजते 

सजतीं पताका

सामने हैं भेड़ -रेवड़।


किसको 

सताए देश की चिंता,

लगाना ही धर्म है

तेल से भीगा पलीता,

भेड़ का रेवड़

बनाता वीडियो

पढ़ाता उधर 

वह 'गिरगिटी - गीता'।


'रंग बदलो 

समय के साथ अपना,

कोई नहीं संगी

नहीं साथी भी तेरा,

सब छूट जाना है

यहीं ये धन बसेरा,

हम देश -उद्धारक,

सुधारक,

इतिहास निर्माता।'


' सर्वश्रेष्ठ हैं हम,

न आया आज तक

ऐसा कभी कोई,

नहीं आने पाएगा,

हमें समझो

अवतार ,

उतारेंगे हमीं

धरती से पाप-

पापियों का भार,

'शुभम्'  'गिरगिटावतार',

लगाएँ पार।'


 ●शुभमस्तु !


21.09.2023◆5.00आ०मा०

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