गुरुवार, 28 सितंबर 2023

आसोज ● [ सोरठा ]

 423/2023

           

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● © शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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कहलाता है क्वार,मास शुभद आसोज का।

श्रीगणेश शुभ  द्वार,पर्वों का खुलता  यहाँ।।


आया  शुभ आसोज,बीते सावन - भाद्र  भी।

कर कन्या गण भोज,विजयादशमी   पर्व है।।


लगा विमल आसोज,शरद -आगमन हो रहा।

सुबह नहाएँ रोज,सरिता कलकल बह रही।।


भादों  पावस  मास,शुभ अनंत  चौदस बड़ी।

नव आसोज सहास,कल पूनम के  बाद ही।।


दें  उनको  सम्मान, पितरों  का  ये   मास  है।

याद करें प्रिय जान,मास 'शुभम्'  आसोज है।।


अश्विन और कुआर,इष, कुँआर, आसोज हैं।

कर पावस को पार,बहुत नाम शुभ  मास के।।


मास अश्वयुज नेक, अश्व एक जिसमें  जुता।

है आसोज विवेक,नखत अश्विनी  से  जुड़ा।।


या कुछ  कहें असोज,कहते हैं आसोज  भी।

बरसे नित निशि ओज,ओस बरसती शून्य से।


बंद हुए  थे   पर्व, पावस  की जलधार   से।

शुभ आसोज  सगर्व,श्रीगणेश उनका  हुआ।।


विजयादशमी  पर्व,  हम माँ दुर्गा   पूज   लें।

कर रावण-मद  खर्व,धूम नित्य आसोज की।।


पितर लोक  में याद, आते  हैं आसोज  में।

किए बिना रव नाद,करते सुधि परिवार की।।


●शुभमस्तु !


28.09.2023◆8.30आ०मा०

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