संग्रह में हर नर लगा,
करे त्याग की बात।
जैसे भी मुझको मिले,
सदा लीन अपघात।।1।
त्याग तपस्या है 'शुभम,
सदा ग़बन में लीन।
रिश्वत से नर घर भरे,
लगी टकटकी मीन।।2।
दस पैसे का त्यागकर,
कहता दिया हज़ार।
गली - गली गाता फिरे,
ख़बर छपी अख़बार।।3।।
करते हैं जो त्याग जन,
कहते एक न बार।
टी. वी. पर आते नहीं,
छपें नहीं अख़बार।।4।।
कविता लिखकर त्याग पर,
त्याग नहीं है मित्र।
बहुत बड़ा दिल चाहिए,
छपें न जिनके चित्र।।5।
त्याग - त्याग सब ही कहें,
त्याग न जानें एक।
नगर ढिंढोरा पीटते,
जिनमें नहीं विवेक।।6।
गाल बजाते त्याग के ,
नहीं त्याग का ज्ञान।
शब्दों में क्या त्याग है ,
कर लो मन में ध्यान।।7।।
रक्षा करने वचन की,
त्याग किया प्रभु राम।
प्रिय राधा का त्याग कर,
गए मधुपुरी श्याम।।8।
मर्यादा - रक्षक बने ,
किया सिया का त्याग।
रघुकुल वंशी राम का ,
यह कैसा अनुराग ??9।
गोकुल तज मथुरा तजी,
गए द्वारका धाम।
पीछे मुड़ देखा नहीं,
त्यागवीर घनश्याम।।10।
गांधी और सुभाष का ,
त्याग रहेगा याद।
अमर शहीदों ने किया,
सदियों तक आबाद।।11।
सीमा पर जो जूझते,
उनका त्याग महान।
पत्नी बच्चे त्यागकर ,
होम रहे हैं प्रान।।12।
मुनिजन त्यागी जैन सब,
असन वसन का त्याग।
कठिन तपस्या है यही,
त्यागा सुख - संभाग।।13।
त्याग सुखों की वासना,
कृषि में लगा किसान।
अन्नदान जग को करे,
ये भी सत बलिदान।।14।
त्यागी जीवन जो तपे,
गाता कभी न गीत।
त्याग तपस्या एक ही,
जन-जन का वह मीत।।15।
💐 शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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