मंगलवार, 6 अगस्त 2019

घर का कूड़ेदान तुम्हारा [ बालगीत ]

घर  का   कूड़ेदान  तुम्हारा।
स्वच्छ  देश हो  सुंदर नारा।।

कूड़ा -  कचरा  मुझमें  डालो।
निज घर-आँगन स्वच्छ बना लो।
मकड़ी - जाले  छिलके  पत्ते।
रद्दी   कागज़   कपड़े - लत्ते।।
दान करो   मुझमें वह  सारा।
घर का कूड़ेदान ....

जूते   झाड़   घुसो  घर अंदर।
वस्तु सजाकर रख दो सुंदर।।
चीजें इधर - उधर मत फेंको।
विधिवत रखो सफ़ाई देखो।।
घर मंदिर -  सा  लगे हमारा।
घर का कूड़ेदान ....

दो   रँग   के  दो    कूड़ेदान।
सूखा   गीला   करें   प्रदान।।
सुविधा   इससे  बहुत रहेगी।
दुःखी न घरनी कष्ट  सहेगी।।
मिल जाएगा  बहुत सहारा।
घर का कूड़ेदान ....

रहते    हैं  भगवान  वहाँ  पर।
स्वच्छ शुद्ध हो जिसका भी घर।
रहने     में    आनंद   मिलेगा।
देख अतिथि का वदन खिलेगा।।
छोटा   या  घर बड़ा  तुम्हारा।
घर का कूड़ेदान....

जहाँ    गंदगी    हो   बीमारी।
सुई    घुसाना   हो   लाचारी।।
स्वच्छ सदन हो 'शुभम' तुम्हारा।
बीमारी  सब   करें  किनारा।
बारह  मास   बहार हजारा।।
घर का कूड़ेदान ....

💐 शुभमस्तु !
✍ रचयिता ©
👌 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...