बुधवार, 14 अगस्त 2019

हलो व्हाट्सएपिआओ! बनाम भैंस के आगे बीन बजाई [ दोहा ]

गूँगे    ही    बहुसंख्य   जन,
पढ़कर     रहते        मौन।
इनके  मुँह    लड्डू    रखा ,
हम     इनके   हैं  कौन??2।

लिखना   भी    आता  नहीं ,
हैं      एम.ए.          उत्तीर्ण।
उर  में  तुच्छ     विचार   हैं,
भाव     भरे     संकीर्ण।।2।

क्यों   उँगली   को   कष्ट  दें,
चढ़ें         प्रशंसा      फूल ?
व्हाट्सएप   संन्देश      पढ़,
जाओ    उसको     भूल ।।3।

सब    कोरी     बकवास  है ,
दृढ़  कर      लो     विश्वास।
व्हाट्सएप    तो    है  मगर,
पर    आती   है  बास।।4।।

गूँगे     ने   गुड़  खा   लिया ,
मुँह   में      नहीं     ज़बान।
फिर   बोलो    कैसे     कहें,
है     संन्देश      महान!!5।

अहंकार     इतना     बढ़ा,
हुए   फूलकर         बॉल।
मज़ा    लूटने   को मिला,
मोबाइल    का  हॉल।।6।

मुँह  पर  चिपका   टेप है,
पट्टी       पूरे          हाथ।
घायल अँगुली   हैं   सभी,
कलम न  देती  साथ।।7।

नाच -  कूद   सब  देखते,
फिल्में     सब      रंगीन।
लिखने    में   नानी  मरे,
व्हाट्सएपिया    दीन।।8।

मोबाइल     का   शौक है,
नाकों       चढ़ा    नकार।
मालिक  अपने   एप   के,
लड़ने     को   तैयार।।9।

उचित   यही  है  लो विदा,
मुँह    रखना    यदि    बंद।
गूँगे   लूले    व्यर्थ      सब ,
भावे   जिन्हें  न छन्द।।10।

निष्कासन     करना    पड़े,
जिन्हें     न    आवे     चेत।
कलम  गहो  मुँह खोल लो,
सदा 'शुभम ' निज हेत।।11।

💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🚦  डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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