गुरुवार, 22 अगस्त 2019

कान्हा की कुंडलियां

मथुरा  -  कारागार       में,
प्रकटे   विष्णु      ललाम।
भय  से    काँपीं    देवकी,
नत    वसुदेव     प्रणाम।।
नत     वसुदेव     प्रणाम,
विष्णु प्रभु  तब यों  बोले।
'धारण       करता    रूप,
नवल शिशु का 'रस घोले।
'नंदराय      के        धाम,
मुझे  ले    जाओ   सुथरा।
यमुना    के   उस      पार,
गाँव गोकुल नहिं  मथुरा।।'

भादों   की  शुभ   अष्टमी,
नखत     रोहिणी    धन्य।
काली      आधी  रात  में,
प्रकटे     कृष्ण   अनन्य।।
प्रकटे     कृष्ण     अनन्य,
धन्य हैं  पिता,      देवकी।
फलते      कर्म      महान,
नाव निधि  सदा  खेवती।।
यशुदा 'शुभम' निकेत,
अवतरित   होते     माधों।
पावस      पुण्य     प्रसून,
भद्रता   भरता     भादों।।

भोर  हुई    नंदराय   घर,
हुआ   बधाई  -      गान।
मैया  यशुदा    ने    जना,
सुंदर     श्याम   सुजान।।
सुंदर     श्याम     सुजान,
धन्य     बाबा     नंदरैया।
लाड़     लड़ाती     मात,
दाऊ    का  नन्हा  भैया।।
गली -  गली     में    धूम,
अति का   मचता है शोर।
'शुभम' धन्य नंद धाम,
सुखदायक है ब्रज-भोर।।

मेरे     घर     में    आयँगे,
कृष्ण    कन्हैया    श्याम।
जन्म अष्टमी    के दिवस,
यशुदा     के   सुखधाम ।।
यशुदा     के     सुखधाम,
नंद  के    कान्हा     प्यारे।
दुख    कर      देंगे     दूर,
बनेंगे     सदा      सहारे।।
'शुभम' बजाए    शंख,
धूम    होगी   ब्रज   में  रे!
रोहिनि    प्रकट  निशीथ,
बजें    घण्टे    घर   मेरे।।

वंशी   वाले     ने    किया,
पावन    गोकुल      गाँव।
धन्य  हुई    ब्रजरज  सभी,
यहाँ -   वहाँ    हर   ठाँव।।
यहाँ -  वहाँ    हर     ठाँव,
ग्वाल  -  गोपी    हरषाए।
देवी   -  देव        समोद ,
सुमन    अवनी  बरसाए।।
किया      कंस     विध्वंश,
आ गए   प्रभु   अवतन्शी।
'शुभम'   चराते    गाय ,
बजाते    वन     में   वंशी।।

💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🕉 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'

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