शनिवार, 3 अगस्त 2019

हिन्द और हिंदी [ दोहे ]

 हिन्द    जहाँ   हिंदी   वहीं,
आन    मान    औ'   शान।
हिंदी     से   ही   हम  यहाँ,
अपनी    यह    पहचान।।1।

जन्मभूमि    जननी   सदृश,
हिंदी       अपनी       मात।
वत्सलता   का     दुग्ध  पी,
उदय 'शुभम' की  प्रात।2।।

जन्म  लिया   है   हिन्द  में,
धरती              हिंदुस्तान।
माँ   ने   दी     हिंदी    हमें,
सर्व   ज्ञान  की खान।।3।

एक  सूत्र    में      बाँधती,
हिंदी         सारा       देश।
बोली   जाती     देश  भर,
चाहे     कितने    वेश।।4।

माथे     की    बिंदी  सदृश,
शोभित     करती     मान।
हिंदी     गौरव.     देश का,
कहता  हिन्द    जहांन।।5।

हिंदी     में   संस्कृति   रहे,
हिंदी        में      संस्कार।
हिन्ददेश     की    नाक है,
बहुत - बहुत   आभार ।।6।

अपनी   माँ  को   छोड़कर,
कहे      अन्य   को    मात।
आन - मान    उसको  नहीं,
कहता   उसे     कुजात। ।7।

आशा  जनगण    की  यहाँ,
हिंदी           का      संदेश।
नेह   प्रेम    नित     बाँटती,
'शुभम '  हिन्द  के  देश।।8।

जन से  जन   को जोड़कर,
एक       सूत्र    में     बाँध।
हिंदी   से    सौहार्द्र    नित,
'शुभम'  साधना  साध।।9।

गौरव      हमको    चाहिए,
करें        सदा      सम्मान।
अपनी     हिंदी   हिन्द  से,
अधरों  पर  मुस्कान।।10।

💐 शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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