प्रतिमा में भगवान हो न हो,
प्रति माँ में भगवान है।
माँ की गोदी माँ की लोरी।
माँ संतति के हित भोरी।
माँ करपरस दिव्य माँ आँचल
हर मुश्किल में माँ ही अविचल।
बेटा - बेटी की जान है।
प्रति माँ में .....
गीले बिस्तर सोती माँ ही।
सुखद सुलाती हमको माँ ही।
भूख प्यास जब शिशु को होती।
खिला पिलाकर भूखी सोती।
माँ ईश्वर का वरदान है।
प्रति माँ में ....
वही बनाती वीर शिवाजी।
मृत्युलोक की देवी माँ जी।
गांधी संत विवेकानंद सभी।
रामकृष्ण युग एक कभी।
माँ से ही सकल जहांन है।
प्रति माँ में .....
संस्कारों की घुटी पिलाती।
मृत आशा में प्राण जगाती।
माँ से उऋण नहीं सुत होता।
सदा बीज प्रतिभा के बोता।
माँ ही संतति का मान है।
प्रति माँ में ....
अपनी जननी जो भूल गया।
निज अहंकार में फ़ूल गया।
उसका उद्धार नहीं होना।
धरती अम्बर कोना - कोना।
'शुभम' यही संज्ञान है।
प्रति माँ में ....
💐 शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
🌱 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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