मंगलवार, 6 अगस्त 2019

नागपंचमी [ गीत ]

नागपंचमी   आज  मन गई
साँपों  का मुख तोड़ दिया।

 पूजा  करते   थे  साँपों  की,
रोज़ - रोज़ का डर था भारी।
वर्षों   से  हम   सोच  रहे थे,
कब   से   थी लम्बी तैयारी।।
आस्तीन  के  साँपों का डर,
अब  तो  हमने  छोड़ दिया।
नागपंचमी आज ....

धारा तीन सौ सत्तर कितनी,
हमें    सताती    रहती   थी।
आतंकी   की काली  छाया ,
हमको   डंसती  रहती थी।।
आस्तीन के उस भुजंग का,
फन   जूते  से  रौंद   दिया।
नागपंचमी आज ....

छिपा हमारे ही बिल में वह,
घात   लगाता   रहता  था।
'ये   कश्मीर  हमारा प्यारा',
उसको  अपना कहता था।।
एक कलम से झटका देकर,
काला  नाग झिंझोड़ दिया।
नागपंचमी आज...

माह अगस्त पाँच को  मित्रो,
गया   एक   इतिहास  लिखा।
मोदी  और   अमित शाह ने,
कहा  सत्य वह आज दिखा।।
पका हुआ था फोड़ा कब से
साहस करके  फोड़   दिया।
नागपंचमी  आज ....

अमन    चैन  की वंशी कर ले,
अब  हम      सभी   बजायेंगे।
कांटा    निकल  गया  पैरों से,
सारे       स्वप्न       सजायेंगे।। 
 केशर  की क्यारी का उपवन,
'शुभम'  गेह से जोड़ लिया।
नागपंचमी आज ....

💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'


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