मंगलवार, 6 अगस्त 2019

कश्मीर [ कुंडलिया ]

बदला   है  इतिहास   अब,
बदल      गया      भूगोल।
तीन   सौ   सत्तर  हट गई,
हुआ       पाक    भूडोल।।
हुआ        पाक     भूडोल,
शाह   का    साहस    भारी।
मोदीजी        का     वरद,
अमितजी    विरुद   सँभारी।।
'शुभम'    देश     आज़ाद,
 हुई    अब    नारी   सबला।
मिटा      शीश    का    दाग़,
समा    है    बदला - बदला।।

सोमवार    तिथि   पञ्चमी,
पावन   सावन         मास।
पाँच   अगस्'  तारीख  भी,
रचा     नया      इतिहास।।
रचा     नया       इतिहास,
तिरंगा    ही        फहरेगा।
सेना      का        उपहास,
न   सैनिक   अब दहलेगा।।
'शुभम'  शंभु   आशीष,
शुभ   हों   सब सातों  वार।
संविधान         है       एक ,
सुखद    होगा    सोमवार।।

काँटा     काँटे     से     हटे,
नहीं        जोड़कर    हाथ।
विनय न   माने   धूर्त   रिपु,
उचित    नहीं     है   साथ।।
उचित    नहीं     है   साथ,
मानता  है    बस      जूता।
शठ    का   यही   इलाज़,
नहीं    विनती  में    बूता।।
'शुभम' गए    वे    दिवस,
गाल     मम     मारो  चांटा।
छोटा        काँटा        चुभे ,
बड़ा  कर   ले लो     काँटा।।

खून    खौलने   तब  लगा,
जब     देखा       उपहास।
सुरक्षा   हित   सैनिक गए,
उन         पर    अट्टाहास।।
उन        पर     अट्टाहास,
गए     पत्थर      बरसाए।
भागे       गीदड़     सभी,
बहुत  मन -  मन हरषाये।।
घाटी          थर्रा      उठी,
सेना    बनि     गीला  चून।   .
'शुभम'   दशा  ये   देख,
खौलता    सबका   खून।।

संविधान     है    एक   ही,
एकल    अमिट    निशान।
सुखी  रहें    कश्मीर   जन,
नागर      गाँव    किसान।।
नागर     गाँव      किसान,
एक    ही   ध्वजा  तिरंगा।
रावी       झेलम       सिंधु ,
बनें       कश्मीरी     गंगा।।
'शुभम' पूर्ण    आज़ाद,
एक  ही  विधि -विधान है।
हुआ        राष्ट्र     विस्तार,
एक   अब   संविधान   है।।

💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...