माता यशोदा के प्राण प्यारे आओ,
लेंगे बलैया हम घर हमारे आओ।
तुम्हीं एक रक्षक हो तुम्हीं हो खिवैया
तुम्ही एक मेरे हो मम सहारे आओ।
जन्म- दिन है तुम्हारा बधावे घर- घर
संहारक दानवों के मम दुआरे आओ।
भृष्टता का कीड़ा है आज जन-जन में,
बन के उद्धारक तुम प्रिय हमारे आओ।
'शुभम' देह मानव की कहने ही भर को
देह- बसे दानव को मार प्यारे आओ।
शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🕉 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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