लड्डू गोपाल मेरे लड्डू गोपाल।
घर-घर जन्मे देवकी - लाल।।
भादों महिना काली रात।
सूझे नहीं हाथ से हाथ।।
जलते दीप न जले मशाल।
घर -घर जन्मे ....
खुले जेल के भारी ताले।
सोए थे सब पहरे वाले।।
श्रीवसुदेव ने लिए निकाल।
घर -घर जन्मे ....
बड़ उफान भरी जमुना मैया।
छुए चरण सरि किशन कन्हैया।।
शेष नाग करें रक्षा - ढाल।
घर -घर जन्मे ....
नन्द जसोदा के घर गोकुल।
थे वसुदेव बहुत ही व्याकुल।।
यसुदा के सँग सोए लाल।
घर -घर जन्मे ....
लाल देखकर माता चौंकी।
नन्द बाबा ने खुशी न रोकी।।
घर -घर मंगल गान खुशाल।
घर -घर जन्मे ....
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🕉 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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