एक तीर ऐसे चला ,
दो - दो लगे निशान।
पूरी आज़ादी मिली,
आन मान औ' शान।।1।
एक तीर में पाक का ,
छूट गया सब धीर।
नापाकी करतूत की,
मिटी जलन उर पीर।।2।
एक देश में एक ही,
चलता नियम विधान।
ध्वज प्रधान सब एक ही,
जन-जन एक समान।।3।
दो हज़ार उन्नीस का,
सावन मास महान।
नागपंचमी को मिला ,
सबको एक वितान।।4।
नेत्र तीसरा खुल गया ,
काली धारा अन्त।
केशर क्यारी में खिला ,
सावन मास वसंत।।5।
जिन्हें न भावे देशहित,
आस्तीन के साँप।
जूता मारें जनक में,
कहें और को बाप।।6।
घुट - घुटकर जीता रहा ,
धरा - स्वर्ग कश्मीर।
तीन सौ सत्तर जब मिटी,
सरकी स्वच्छ समीर।।7।
रक्षक - सैनिक पर करें ,
पत्थर फेंक प्रहार।
एक वार में हो गया ,
सबका उपसंहार।।8।
पानी का पानी हुआ ,
हुआ दूध का दूध।
पाक टापता रह गया,
मिला मूल मय सूद।।9।
गलित सियासत के हुए ,
सारे परदे फाश।
जाहिर नंगापन हुआ ,
'शुभम' विकट उपहास।10।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें