बुधवार, 14 अगस्त 2019

आज़ादी का दिन [ गीत ]

आज़ादी का दिनआया है,
फर-फर ध्वज फहराएगा।
लाल  किले  की  प्राचीरों पर,
चढ़   लय   से    लहराएगा।।

सबल  तिरंगे    ने गौरव  से,
सबका   मान    बढ़ाया   है।
स्वाधीनता  की लंबी  सांसों-
को   सुचारु    करवाया  है।।
हर   भारतवासी   सचेत हो,
जन गण मन फिर गायेगा।
आज़ादी का दिन...

यों  ही  नहीं  मिली आज़ादी,
बलिदानों   को   याद   करो।
शुद्ध   पवन  में  साँस ले रहे,
जिनकी  ख़ातिर ध्यान धरो।।
देशप्रेम  का  रंग   केसरिया,
श्वेत     हरित    गहराएगा।।
आज़ादी का दिन ...

शिक्षा  को  अधिकार बनाएँ,
ऊँच - नीच   को   नष्ट  करें।
वर्णभेद   को  सभी  भगाएँ,
भारत   माँ   के    कष्ट  हरें।।
राष्ट्र - एकता  अखंडता का ,
मंत्र     हमें  मिल   जाएगा।।
आज़ादी का दिन ...

जो   भारत भू   पर   रहते हैं ,
हम    सब    हिंदुस्तानी    हैं।
ओछी औ'  संकीर्ण  सोच ने,
बरवादी     की    ठानी   है।।
लड़ते  यों  ही   रहे  परस्पर,
फ़िर    ग़ुलाम  हो   जाएगा।
आज़ादी का दिन ...

मुख नयनों का जो महत्त्व हो,
नहीं    न्यून   कर  पैरों    का।
दुहरा  तुम  व्यवहार   करोगे,
उचित यही क्या ! गैरों -सा।।
सबका ही  सहयोग  सराहो,
अस्तित्व तेरा  बच पायेगा।
आज़ादी का दिन ...

कौन   नहीं   है शूद्र यहाँ पर,
देह   कहाँ     धुलवाते    हो?
चढ़ता   है  जब  रक्त  देह में ,
जाति    पूछ   चढ़वाते  हो ??
बैठ   चौक  पर  बने  चौधरी,
चौक  तेरा    मिट    जाएगा।
आज़ादी का दिन....

कोरी     बातें    झूठे    नख़रे,
चौपालों     के   पंच     बने !
राष्ट्रवाद  के    ढोल    पीटते,
सड़े   काठ   के  मंच    तने।।
'शुभम' वर्ण का भेदभाव ही,
 खण्ड - खण्ड कर  जाएगा।
आज़ादी का दिन...

💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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